USTAD NUSRAT FATEH ALI KHAN
"Nusrat Fateh Ali Khan" would say that I have the got the fortune and reputation by going on foot to "Dargahs" (Shrines) , and the Qawalis were sung only at the "Dargahs" and now the whole world is fascinated by the singing of the Qawwalis and it is possessed of only those names, which I have chanted throughout my whole life by way of my supplication and prayer."
"नुसरत फ़तेह अली खान" कहते थे मुझे करूज और सोह्रत दरगाहो और मजह्रो की खाक छानने से नसीब हुई , और सिर्फ दरगाहो और मजह्रो में जो क़वालिया गाई जाती थी अब पूरी दुनियां उन क़वालिया की दीवानी है , उन नामो की दीवानी है जिन का नाम मैं सारी ज़िन्दगी पुकार-पुकार कर लेता रहा हूँ